आज इसके बारे में बात करना ज़रूरी है. 1st October है. बहुत ही musical दिन.
फिल्मों का शौक बचपन से रहा है और ये शौक फिल्मी गानों से शुरू हुआ इस बात से कोई एतराज़ नहीं है. लेकिन फिर बचपन से बहुत कुछ सुनता भी रहा, देखता भी रहा और कुछ एक चीज़ें मन मे गढ़ लीं कि यही सही है.
जब भी गानों का ज़िक्र हुआ, बहस हुई, discussion हुआ, कुछ नाम ही बार बार आते रहे. पंचम, किशोर, आशा, लता, गुल्ज़ार, साहिर, शैलेंद्र… लेकिन अफसोस कि एक नाम उस लिस्ट से हमेशा गायब रहा.
सौमिक (या शौमिक) से मेरी पहचान post graduation के दौरान हुई. ऊपर जितने नाम लिखे हैं वो सारे common factors निकले और लगा कि बहुत बात की जा सकती है. घंटों या दिनों तक नहीं… सालों तक. ऐसा ही हुआ. आज भी ऐसा ही है. ज़्यादातर बातों पर तो एक राय होती थी लेकिन…
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